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Terrorism से सख्ती से निपटेगा रूस, समझिये रूसी राष्ट्रपति Vladimir Putin का वार प्लान

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मास्को: रूस (Russia) और बेलारूस की सेनाओं ने संयुक्त युद्धाभ्यास (Massive Military Drills) किया है. बेलारूस के राष्ट्रपति ने ड्रिल का जायजा लेते हुये कहा कि उनका देश रूस के साथ एक अरब डॉलर के हथियारों की डील करेगा. बेलारूस (Belarus), रूस से S-400 सिस्टम भी खरीदेगा. इस ड्रिल को देखने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) भी अगले हफ्ते यहां पहुंचेंगे. युक्रेन और पोलैंड ने इस युद्धाभ्यास को सिक्योरिटी रिस्क बताया है लेकिन रूस ने कहा कि ये युद्धाभ्यास किसी देश के लिए खिलाफ नहीं है.

पुतिन का वार प्लान?

बेलारूस में चल रही मिलिट्री ड्रिल को जापद 2021 नाम दिया गया है. ये सैनिक यहां लड़ाकू रोबोट्स के साथ भी युद्धाभ्यास कर रहे हैं. ये खास रोबोट्स दूर से नियंत्रित होते हैं और ग्रेनेड लॉन्चर और मशीन गन से पूरी तरह से लैस होते हैं. ये रोबोट्स किसी भी वक्त, कहीं पर भी दुश्मन को एक झटके में मार गिराने में सक्षम हैं.

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यूक्रेन की बढ़ी चिंता

 

सैन्य अभ्यास के दौरान रूस ने सरमैट-2 व्हीकल का प्रदर्शन किया जो किसी भी दुर्गम रास्ते पर आसानी से चढ़ाई कर सकता है. चार हजार से भी ज्यादा ड्रिल वाले अभियान में समुद्र के भीतर अपनी ताकत और तैयारी को परखा गया. रूस और बेलारूस के बीच की नजदीकियां बढ़ती ही जा रही हैं. आर्थिक मदद के बाद अब रूस, बेलारूस के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास जैपड-2021 भी शुरू कर चुका है और दोनों देशों की संयुक्त ताकत और आधुनिक हथियारों ने यूक्रेन की चिंता बढ़ा दी है.

‘आतंकवाद पर रूस का रुख’

दरअसल ब्रिक्स की बैठक में रूस ने आतंकवाद और अफगानिस्तान के हालात पर चिंता जताई थी. चिंता जताने के साथ रूस ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी सीमाओं को मजबूत करना भी शुरू कर दिया है. रूस न सिर्फ बेलारूस के साथ बल्कि किर्गिस्तान की सीमा पर भी सैन्य अभ्यास कर रहा है. ये सैन्याभ्यास अफगानिस्तान समेत दुनिया के हर उस देश को एक संदेश है, जो आतंकवाद का साथ देते हैं. किर्गिस्तान की सीमा पर रूस की सेना का ये अभ्यास आतंकवाद के खिलाफ़ उसकी तैयारी का एक छोटा सा सबूत है. 

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(फोटो साभार: रूसी रक्षा मंत्रालय)

इस तैयारी में रूस के साथ किर्गिस्तान के अलावा कज़ाख्स्तान और ताजिकिस्तान भी शामिल हैं.

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रूस की चिंता की वजह

मध्य एशिया का इलाका रूस के लिए रणनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा के नजरिए से काफी अहम और उपयोगी है. रूस के लिए मध्य एशिया में शांति और स्थिरता के लिए अफगानिस्तान में शांति बहाली बेहद जरूरी है. दरअसल, मध्य एशिया के 4 देशों किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और कजाख्स्तान की सीमा रूस से छूती है. ऐसे में रूस को डर है कि अगर अफगानिस्तान में स्थायी शांति नहीं होती है तो ISIS और तालिबान का आतंक रूस में घुस सकता है.

गुरुवार को हुए ब्रिक्स सम्मेलन में रूस ने दुनिया को आतंकवाद से सतर्क रहने के लिए कहा था. अपने पड़ोसी देशों के साथ सैन्य अभ्यास करके रूस ने ये साफ जाहिर कर दिया है कि वो आतंकवाद को स्वीकार नहीं करेगा. अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के बाद आने वाले हालात को देखते हुए रूस पहले से ही अपनी तैयारी पूरी कर लेना चाहता है.

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