उत्क्रमित मोतिहारी नगर निगम एक बार फिर सुर्खियों में है।क्योंकि नगर परिषद् के उत्क्रमित होते ही यहाँ का बोर्ड भंग कर दिया गया और प्रशासक व्यवस्था लागू कर दी गई । जिसके बाद पवार मिलते ही यहाँ के अधिकारी कचरे कि योजना में धन की लूट मचाए हुए हैं । ऐसा आरोप हम नहीं लगा रहे हैं बल्कि यहाँ के सत्ताधारी दल के नेता भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा पूर्वी चंपारण इकाई जिलाध्यक्ष मोहिब्बुल हक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर निगम के आयुक्त पर घोटाला का खुल्लम खुला आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल दिया है।
आपको बतादें कि कोई और नही बल्कि भाजपा अल्पसंख्यक सेल के जिलाध्यक्ष व पूर्व उप मुख्य पार्षद मोहिबूल हक ने निगम आयुक्त पर आरोपों की झड़ी लगा दी है।शहर में लगे स्टील के निम्न दर्जे के डस्टबीन खरीद के भुगतान का जिक्र करते हुए मोहिबूल हक ने कहा कि बोर्ड की बैठक में भुगतान पर रोक लगाई थी और डीएम ने डस्टबीन खरीद के मामले में तीन-तीन बार जांच टीम बनाई और डीएम ने भी भुगतान पर रोक लगा दिया था। लेकिन जांच टीम की रिपोर्ट अभी जिलाधिकारी को नहीं सौपा है और निगम आयुक्त ने बोर्ड भंग होने के बाद सारे नियमों को ताक पर रखकर डस्टबिन खरीद का 70 लाख रुपया संबंधित एजेंसी को भुगतान कर दिया है। मोहिबूल हक ने सफाई व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि प्राइवेट एजेंसी के जिम्मे जबसे सफाई व्यवस्था दी गई है तबसे शहर व मुहले कि स्थिति और नारकीय हो गई है ।
मोहिबुल हक़ ने एक और गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि नगर आयुक्त जिले के माननीय के संबंधी होने का नाजायज फायदा उठाते हैं।
आपको बतादें कि इस बात की जानकारी जब जिले के डीएम शीर्षत कपिल अशोक को दी गई,तो उन्होंने माना कि डस्टबीन जांच के लिए गठित टीम ने जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी है।उन्होंने कहा कि इस बात की समीक्षा की जाएगी।उन्होंने बताया कि कई जगहों से डस्टबीन की शिकायत आ रही है और किस परिस्थिति में भुगतान हुआ है।इसकी जांच कराकर शीध्र हीं निर्णय लिया जाएगा।
इन सब के बीच आपको बतादें कि मोतिहारीं नगर परिषद् को निगम में उत्क्रमित होने के पूर्व हीं शहर को कचरा मुक्त करने के लिए स्टील के डस्टबीन की खरीद हुई थी।जिसके गुणवत्ता और दाम पर सवाल उठाये गए थे और डस्टबीन का मुद्दा काफी सुर्खियों में रहा था।जिसकारण बोर्ड की मीटिंग में डस्टबीन खरीद के भुगतान पर रोक लगाते हुए डीएम को इसकी सूचना दे दी गई थी।डीएम ने भी अपने स्तर से डस्टबीन खरीद की जांच को लेकर कमिटी का गठन किया था।जिसकी जांच रिपोर्ट आने के पूर्व हीं डस्टबीन खरीद के भुगतान का मुद्दा गरमा गया है।