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शीघ्र ही विकसित जिलो के समकक्ष आएंगे देश के सभी 117 आकांक्षी जिले, बिहार में जनजातियों के उत्थान के लिए खुलेंगे बंधन विकास केंद्र : रेणुका

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केंदीय जनजातीय कार्य राज्यमंत्री ने की औरंगाबाद में आकांक्षी जिला परियोजना की समीक्षा केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्यमंत्री रेणुका सिंह सरूता ने कहा है कि केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी “आकांक्षी जिला परियोजना” के तहत चयनित देश के सभी 117 जिले शीघ्र ही विकसित जिलों के समकक्ष आ जाएंगे। श्रीमती सिंह ने सोमवार को यहां समाहरणालय स्थित योजना भवन सभागार में सामाजिक न्याय पखवाड़ा के तहत औरंगाबाद जिले में आंकाक्षी जिला परियोजना की योजनाओं की जिला प्रशासन के साथ बैठक कर समीक्षा करने के बाद प्रेसवार्ता में कहा कि 5 जनवरी 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकास के राष्ट्रीय औसत में देश के 117 जिलों को विकसित बनाने के लिए आकांक्षी जिला घोषित किया था। इसके तहत इन जिलों में आधारभूत सुविधाओं और संरचनाओं के विकास के लिए कई तरह की योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है। बीच में वैश्विक महामारी कोरोना के कारण कार्यों की प्रगति बाधित हुई लेकिन कोरोना संकट टलने के बाद इन जिलों में विकास की गतिविधियां अब फिर से पटरी पर आ रही है। इसी कड़ी में केंद्र सरकार सामाजिक न्याय पखवाड़ा मना रही है। इसके तहत केंद्र सरकार के मंत्री इन सभी जिलों में आकांक्षी जिला परियोजना की समीक्षा कर रहे है। इस क्रम में आज उन्होने यहां आकर औरंगाबाद जिले में परियोजना की प्रगति की समीक्षा की है। समीक्षा के माध्यम से उन्होने यह जानने की कोशिश की कि केंद्र सरकार ने संबंधित जिलों के जिला प्रशासन एवं जन प्रतिनिधियों के समन्वय से इन आकांक्षी जिलों के विकास की जो परिकल्पना की थी, वह किस हद तक साकार हो रहा है, इसके क्रियान्वयन में किस तरह की चुनौतियां उत्पन्न हो रही है। इसे लेकर उन्होने नीति आयोग द्वारा निर्धारित पांच मापदंडो की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की। इस दौरान स्वास्थ्य, शिक्षा, सिंचाई, कृषि, कौशल विकास एवं अन्य पहलुओं पर जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बिंदुवार विस्तार से चर्चा की गई। समीक्षा के दौरान वें योजना के क्रियान्वयन में उत्पन्न कई तरह की चुनौतियों से अवगत हुई। इन सभी चुनौतियों और कमियों का निदान किया जाएगा। इसके लिए जरूरत के अनुसार फंड मुहैया कराया जाएंगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई एवं अन्य कार्यों के प्रोजेक्ट तैयार कर सभी प्रकार की कमियों को दूर किया जाएगा। वे चाहती है कि विकास के मामले में औरंगाबाद का इतिहास बने। यहां शत प्रतिशत विकास हो, यहां के लोगो को रोजगार मिले, बेहतर शिक्षा मिले, लोगो के जीवन स्तर उंचा हो और यह जिला भी विकसित जिलों के समकक्ष खड़ा हो। उन्हे उम्मीद है कि इस योजना के बेहतर क्रियान्वयन से देश के सभी 117 आकांक्षी जिले शीघ्र ही विकास के राष्ट्रीय औसत को प्राप्त कर विकसित जिलों के समकक्ष आ जाएंगे। केंद्रीय राज्यमंत्री ने औरंगाबाद जिले में नाम मात्र 1350 की अनुसूचित जाति आबादी खासकर विलुप्त हो रही बिरहोर जाति के आदिवासियों के विकास के लिए केंद्र सरकार के प्रयास के बारे में पूछे जाने पर कहा कि केंद्र सरकार जनजातीय विकास के लिए “बंधन विकास केंद्र” खोलने की योजना चला रही है। इसके तहत राज्य सरकार से प्रस्ताव आने पर बिहार में भी बंधन विकास केंद्र खोले जाएंगे। उन्होने कहा कि पचास प्रतिशत से अधिक जनजातीय आबादी वाले गांवों के लिए केंद्र सरकार आदर्श गांव योजना चला रही है। इसके तहत देशभर में 1 लाख 47 हजार गांवों का चयन किया गया है और देश के 34 हजार जनजातीय बहुल गांवों में यह योजना चलाई जा रही है। यदि औरंगाबाद से भी इस तरह का प्रस्ताव आता है, तो मंत्रालय इस पर गंभीरता से पहल करेगा। कहा कि उनके मंत्रालय द्वारा सिर्फ जनजातीय उत्थान के लिए ही काम नही किया जा रहा है बल्कि जनजातियों की परंपरा-संस्कृति के संरक्षण के लिए भी कार्य किया जा रहा है। साथ ही जनजातियों के परंपरागत उत्पादों, हस्त शिल्प आदि की बिक्री के लिए बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है। सरकारी मेलों में जनजातियों को अपने उत्पादो की बिक्री के लिए स्टॉल भी मुहैया कराया जा रहा है।

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