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गर्भवती महिलाओं का शतप्रतिशत हो प्रसवपूर्व जांच और संस्थागत प्रसव को दें प्राथमिकता

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औरंगाबाद- सदर अस्पताल सभागार में जिला स्वास्थ्य समिति और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च द्वारा प्रसव पूर्व जांच और संस्थागत प्रसव विषय पर मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस आयोजन के दौरान सिविल सर्जन डॉ वीरेंद्र प्रसाद, जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ मनोज कुमार, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ किशोर कुमार, कैयर इंडिया जिला तकनीकी पदाधिकारी उर्वशी प्रजापति तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं यूनिसेफ के प्रतिनिधि सहित प्रसव कक्ष की एएनएम व जीएनएम भी मौजूद रहीं.

जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ कुमार मनोज ने बताया औरंगाबाद जिला में प्रसव पूर्व जांच और संस्थागत प्रसव की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट के अनुसार जिला में गर्भावस्था के पहले तीमाही में होने वाले प्रसव पूर्व जांच का प्रतिशत 53.6 हो गया है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 में यह महज 42.2 प्रतिशत था. गर्भवतियों के प्रसव पूर्व जांच के प्रतिशत में लगभग 10 अंकों की बढ़ोतरी हुई है. एनएफए -5 की रिपोर्ट के मुताबिक गर्भवती का पूरे नौ माह के दौरान होने वाले चार बार प्रसव पूर्व जांच का प्रतिशत 16.2 से बढ़कर 29.3 प्रतिशत हो गया है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसे शतप्रशित हासिल करने की दिशा में निरंतर प्रयास जारी है.

एनएफएचएस-5 के आंकड़े यह भी बताते हैं कि जिला में संस्थागत प्रसव के प्रति लोगों का नजरिया बदला है. लोग प्रसव के लिए सरकारी अस्पतालों को प्राथमिकता दे रहे हैं. पूर्व में एनएफएचएस-4 की रिपोर्ट के मुताबिक संस्थागत प्रसव का प्रतिशत 71.5 था लेकिन वर्तमान में एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट के अनुसार यह अब 77.5 हो गया है. सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर संस्थागत प्रसव का प्रतिशत अब 62 प्रतिशत है जोकि पहले 52 प्रतिशत ही था. संस्थागत प्रसव के शतप्रतिशत लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रयास निरंतर जारी है. प्रसव संबंधी जाखिम के कारण घर में भी होने वाले प्रसव को रोकने के लिए जनजागरुकता लायी गयी है.

प्रसव पूर्व जांच व संस्थागत प्रसव पर जागरूक हो समुदाय: सिविल सर्जन डॉ वीरेंद्र प्रसाद ने कहा जिला में प्रत्येक गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व जांच आवश्यक तौर पर हो इसके लिए आशा तथा प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के स्वास्थकर्मियों सहित सहयोगी संस्थाएं जैसे केयर इंडिया आदि की मदद से ग्रामीण और शहरी दोनों स्तर पर प्रसव पूर्व जांच के प्रति जागरूकता लायी गयी है. जिला में जितने भी प्रखंड हैं वहां पर प्रसव पूर्व जांच तथा संस्थागत प्रसव के प्रति जागरूकता लाने के लिए भी प्रखंड स्तर पर मीडिया के साथ समन्वय स्थापित कर लोगों को जागरूक करने का काम किया जाये और जिला को एक स्वस्थ्य जिला बनाया जा सके ऐसी कामना है.

स्वास्थ्य क्षेत्र में मीडिया की भूमिका पर दिया गया बलः

अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ किशोर कुमार ने मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रसव पूर्व जांच गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ा एक महत्वपूर्ण विषय है. जच्चा बच्चा के बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रसवपूर्व जांच जहां आवश्यक है वहां संस्थागत प्रसव एक सुरक्षित माध्यम है. नौ माह के दौरान चार बार आवश्यक प्रसवपूर्व जांच से गर्भवती माता और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य की जानकारी मिलती है. इस जांच में गर्भवती के खून, बीपी, वजन सहित विभिन्न जांच कर आवश्यक दवा दिये जाते हैं. खानपान के विषय में परामर्श मिलता है. उच्च जोखिम वाले प्रसव की पहचान करने में मदद मिलती है. यहीं संस्थागत प्रसव भी महत्वपूर्ण है. कई जगहों पर घरों में प्रसव कराये जाते हैं जो काफी खतरनाक होते हैं. मातृ शिशु मृत्यु दर को कम करने में इन दोनों का महत्वपूर्ण योगदान है. प्रसव पूर्व जांच के फायदों, प्रसव पूर्व जांच संबंधी योजनाओं के बारे में जानकारी मिल सके और संस्थागत प्रसव के प्रति लोगों को प्रोत्साहित किया जा सके इसके लिए जरूरी है कि प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इन महत्वपूर्ण विषयों पर अपने कंटेट के माध्यम से लोगों को जागरूक कर समुदाय में स्वास्थ्य के प्रति दृष्टिकोण बदलने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे. मीडिया बंधु को इस बात के लिए धन्यवाद देना चाहूंगा कि समय समय में ऐसे कंटेंट आ रहे हैं, थोड़ी इसकी संख्या बढ़ाने की जरूरत है।

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