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साल 1989 के चुनाव में गोरखपुर सदर सीट पर कांग्रेस का सूरज डूबा तो अभी तक निकला ही नहीं.

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उत्तर प्रदेश में पांचवे चरण के चुनाव के बाद अब छठवें चरण में योगी सरकार की अग्नि परीक्षा होगी. छठे चरण में जिन 57 सीटों पर चुनाव होना है, उनमें गोरखपुर सीट भी शामिल है. गोरखपुर से इस बार खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनावी मैदान में हैं. सीएम योगी पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. गोरखपुर सदर विधानसभा सीट के इतिहास की बात करें तो यह सीट भगवा खेमे का ऐसा अभेद्य किला है, जिसे पिछले लगातार 33 साल साल से कोई भेद नहीं पाया है.
मुख्यमंत्री योगी गोरखपुर सदर सीट से ही 1998 से 2017 तक सांसद रहे हैं. वह सबसे पहले 1998 में यहां से बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़े थे. उस चुनाव में उन्होंने बहुत ही कम अंतर से जीत दर्ज की थी लेकिन उसके बाद हर चुनाव में उनका जीत का अंतर बढ़ता गया. वह 1999, 2004, 2009 और 2014 में सांसद चुने गए.गोरखपुर जिले की सभी 9 विधानसभा सीटों पर कुल 109 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. गोरखपुर सदर सीट पर सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कुल 12 उम्‍मीदवार हैं. ये 12 उम्‍मीदवार ज्यादातर राजनीति के नए खिलाड़ी हैं. सपा ने बीजेपी के पूर्व क्षेत्रीय अध्‍यक्ष उपेन्‍द्र शुक्‍ल की पत्‍नी शुभावती शुक्‍ला को गोरखपुर सदर सीट से उतारा है. जबकि बहुजन समाज पार्टी से ख्वाजा शमसुद्दीन और कांग्रेस से चेतना पांडेय मैदान में हैं. वहीं भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण आजाद समाज पार्टी से ताल ठोंक रहे हैं.

राजनीतिक पंडितों की माने तो 33 सालों से लेकर आज तक इस सीट की रणनीति और समीकरण गोरखनाथ मंदिर तय करता है. इन 33 सालों में कुल आठ चुनाव हुए जिनमें से सात बार भाजपा और एक बार हिन्दू महासभा के उम्मीदवार ने जीत हासिल की है. 2002 में इस सीट से डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के बैनर तले जीते थे लेकिन जीतने के बाद वह भाजपा में शामिल हो गए थे. तब से वह आज तक इस सीट पर काबिज हैं.

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