रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के इतिहास के अपने वर्जन को दुनिया के सामने रख दिया है. उन्होंने कहा है कि यूक्रेन हमेशा रूस का हिस्सा था. भले ही ये उनके उद्देश्य को पूरा करता है, लेकिन ये एक कल्पना भी है. दरअसल, यूक्रेन का अपना खुद का एक हजार से अधिक साल का इतिहास रहा है. यूक्रेन का पूरा इलाका एक ऐसी जगह रहा है, जिस पर कब्जे के लिए सैकड़ों सालों तक संघर्ष किया गया. लेकिन ये 18वीं शताब्दी के अंत तक रूस की पकड़ में आ पाया. इस समय कैथरीन द ग्रेट का शासन था. हालांकि, उस समय भी रूसी साम्राज्य यूक्रेन को पूरी तरह से खुद में नहीं मिला पाया.
वर्तमान समये में पुतिन यूक्रेन को रूस में मिलाने के लिए प्रयास करने में जुटे हुए हैं. इसके लिए वह रूस के कई शासकों द्वारा अपनाए गए रास्ते का पालन कर रहे हैं. इन रास्तों पर पीटर द ग्रेट से लेकर जोसेफ स्टालिन तक ने चला था. पश्चिमी मुल्कों के लिए सवाल ये है कि क्या वह कूटनीति, प्रतिबंधों और यूक्रेनी सैन्य प्रतिरोध के जरिए पुतिन की विद्रोही महत्वाकांक्षाओं को सीमित कर पाएंगे. पुतिन द्वारा पूर्वी यूक्रेन के दो अलग-अलग क्षेत्रों को मान्यता देना और फिर वहां पर यूक्रेन को डराने के लिए रूसी सैनिकों को भेजना दिखाता है कि दोनों मुल्कों के बीच किसी भी वक्त युद्ध छिड़ सकता है.रूसी राष्ट्रपति ने सोमवार को कहा, ‘मैं एक लंबे समय से लंबित निर्णय लेना जरूरी समझता हूं. ये है डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक और लुहान्स्क पीपुल्स रिपब्लिक की स्वतंत्रता और संप्रभुता को तुरंत मान्यता देना.’ हर एक आधुनिक देश की, विशेष रूप से यूरोप में, सदियों से बदलती सीमाएं रही हैं. राष्ट्रवाद की भावनात्मक रस्साकशी मांग, अल्टीमेटम और अक्सर क्षेत्र, शक्ति और प्रभाव के लिए युद्ध की वजह बन सकती है. सोमवार को अपने भाषण में पुतिन ने यूक्रेन के अस्तित्व को ही खारिज कर दिया. उन्होंने इसके लिए ये तर्क दिया कि यूक्रेन का संप्रभु राज्य के रूप में बनना एक त्रासदी थी और ये 20वीं सदी के कम्युनिस्ट नेताओं की एक गलती थी.
पुतिन ने अपने भाषणों में कहा कि सोवियत काल तक कभी भी एक ऐतिहासिक यूक्रेन नहीं था. रूसी राष्ट्रपति ने कभी व्लादिमीर लेनिन, तो कभी स्टालिन को दोषी ठहराया. उन्होंने उन्होंने निकिता ख्रुश्चेव के फैसले के 1954 में रूस से क्रीमिया लेकर उसे यूक्रेन को देने के फैसले की भी निंदा की. जैसा कि सभी ऐतिहासिक व्याखानों में होता है, पुतिन जो कह रहे थे उसमें कुछ हद तक सच्चाई जरूर थी. यूक्रेनी और रूसी लोग पूर्वी स्लाव लोगों से संबंधित हैं. लेकिन पुतिन ने अपने भाषणों में यूक्रेन पर रूस के दबदबे की बात कही. उन्होंने यूक्रेन को एक भ्रष्ट और पश्चिमी सरकारों के इशारों पर नाचने वाली कठपुतली बताया.