नए साल में एक बार फिर कोरोना केस बढ़ जाने से मूर्तिकारों में मायूसी छाई हुई है । आर्थिक सुस्ती और महंगाई का असर इस बार सरस्वती पूजा पर साफ दिखायी दे रहा है। कोरोना काल में स्कूल बंद हो जाने से छोटे-छोटे बच्चे भी अपने मां बाप के साथ मिलकर मूर्तियां बनाने में जुट गए हैं । कोरोना के मामलों में इजाफा होने से सरकार के द्वारा स्कूल,पार्क ,सिनेमा घर एवं धार्मिक संस्थान इत्यादि पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। वहीं प्रतिबंध लगने के बाद से ही मूर्तिकारों में सरस्वती मां की प्रतिमा बनाने से डर लगने लगा था । मूर्तिकारों का कहना है की कोरोना कॉल से पहले हमलोग सौ से डेढ़ सौ मूर्ति बनाते थे लेकिन डर के मारे हमलोग तीस से चालीस मूर्ति ही इस बार तैयार किए है। पूजा पंडालों के बजट में भी कमी आयी है जिसका सीधा असर मूर्तियों के कारोबार पर पड़ा है। मूर्तिकारों ने यह भी बताया की मूर्तियों के अच्छे दाम नही मिल रहे हैं। कुछ बड़ी मूर्तियां भी तैयार किए हैं जो घाटा सहकर बेचने को मजबूर हैं।
चेहरियां के मूर्तिकार रामबचन राम बताते हैं कि कोरोना काल में हम लोग डर डर के मूर्ति बनाए हैं , लॉकडाउन को लेकर चिंता सताए जा रही थी कि कहीं मूर्ति खरीदने के लिए कोई आएगा कि नहीं आएगा। कोरोना काल के पहले मूर्तियों का सामान भी कम पैसों में मिल जाता था आज कोरोना काल में महंगाई के चलते मूर्तियां बनाने में सामानों को खरीदते है तो अधिक पैसा देना पड़ रहा है। महंगाई की मार से हम लोग काफी परेशान हैं। कुरौना काल के पहले इनकम भी अच्छी हो जाती थी लेकिन आज इनकम नहीं होने से पेट पालना भी मुश्किल हो रहा है।
बाइट – राम वचन राम, मूर्तिकार
बाइट – अनिल राम , मूर्तिकार