अखिलेश यादव इस बार गठबंधन के गुलदस्ते के साथ योगी आदित्यनाथ को कड़ी चुनौती दे रहे हैं. लेकिन अलग-अलग दलों को जोड़ने की कोशिश आसान साबित नहीं हो रही है. सवाल ये है कि क्या चुनाव तक अखिलेश का गुलदस्ता खिला रहेगा या मुरझा जाएगा? दरअसल यूपी में अखिलेश यादव बेशक 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने के वादे के साथ वोटरों को रिझाने में लगे हैं लेकिन उनके अपने ही सहयोगी ही कुर्सी की रेस में अखिलेश को करंट दे रहे हैं. ऐसी ही तकरार हरदोई की संडीला सीट पर नजर आई जहां एसपी की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने सुनील अर्कवंशी को एसपी के टिकटों के ऐलान से पहले ही मैदान में उतार दिया. वहीं अखिलेश ने रीता सिंह को शपथ दिलाई और टिकट देने का ऐलान कर दिया. ऐसी ही तनातनी बिजनौर सदर सीट पर देखने को मिल रही है, जहां जयंत चौधरी ने डॉक्टर नीरज चौधरी को उतार दिया तो एसपी ने डॉ. रमेश तोमर को टिकट दे दिया. इससे पहले मथुरा सीट पर भी ऐसे ही हालात बने थे जिसे सुलझा लिया गया. इतना ही नहीं जाट महासभा भी कम टिकटें मिलने से नाराज है. वहीं मुरादाबाद में हाजी इकराम कुरैशी और हाजी रिजवान ने टिकट कटने के बाद बगावत कर दी है.चुनावी सीजन में ही मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव अखिलेश का साथ छोड़ बीजेपी के खेमे में चली गई हैं. बीजेपी में जाने के बाद अपर्णा ने कहा कि भाजपा में राष्ट्रवाद की बात होती है जो मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित करती है. सपा से कैंट में टिकट न मिलने के सवाल पर बोलीं कि सपा में टिकट मिलने से मुझे कोई रोक सकता था क्या? साथ ही एसपी संरक्षक मुलायम सिंह यादव के साडू प्रमोद गुप्ता ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया है. वहीं अखिलेश को झटका भीम आर्मी के चंद्रशेखर ने भी दिया है. चंद्रशेखर समाजिक परिवर्तन मोर्चा बनाकर 402 सीटों पर उम्मीदवार उतराने का प्लान बना रहे हैं. इससे विपक्षी वोटों के बिखरने का खतरा बढ़ गया है. हालांकि चंद्रशेखर ने अखिलेश के खिलाफ उम्मीदवार ना उतराने का ऐलान किया है.