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पानी को तरसते लोग

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बगहा में अति पिछड़ा इलाका क्षेत्र अंतर्गत दोन स्थित औरेया गांव का है जहां शुद्ध पीने के पानी के लिए ग्रामीणों को तीन किलोमीटर लंबी सफर तय कर – कर पीने के पानी के लिए नदी जाना पड़ता है ।

एक तरफ सरकार हर घर नल जल पहुंचाने का दावा करती दिखती है तो वहीं दोन् की तस्वीरे कुछ और बया कर रही है।

सरकारी मुलाजिमों की नजर से परे इस गांव के लोग बस यही गुहार लगा रहे हैं कि साहब मुझे पीने का शुद्ध पानी तो दे दो।

जंगल और नदियों से घिरे होने के कारण मूलभूत सुविधाओं से वंचित औरैया गांव में शुद्ध पीने के पानी की घोर अभाव है। पीने के पानी के लिए
ग्रामीण महिलाएं 3 किलोमीटर दूर नदी से पानी लेकर अपना जीवन चलाती हैं।
बतादें कि गांव में मुश्किल से एक चापाकल लगा था जो 5 साल से बंद है । हालात यह है कि पानी की एक-एक बूंद के लिए ग्रामीण तरस रहे हैं।
आजादी के बाद विकसित भारत की यह तस्वीर निश्चित रूप से सिस्टम पर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है । सुदूर इलाका होने के कारण गांव तक पहुंचने के लिए पहाड़ी नदियां बाधक बनी तो रास्ता नहीं बना। नदियों को पार कर आने जाने की मजबूरी तो झेल लेते हैं लेकिन पीने का पानी ही ना मिले तो जिंदगी बोझिल बन गई है।
उस इलाके में पहुंचे बगहा एसडीएम दीपक मिश्र ने समस्या के समाधान का आश्वासन तो दिया है। एसडीएम ने बताया कि पीएचईडी अधिकारियों के साथ बैठक कर इस गांव में पीने के शुद्ध पानी की व्यवस्था करने की कोशिश की जा रही है ।पानी का लेबल बहुत नीचे होने के कारण साथ ही पहाड़ी इलाका होने के कारण परेशानी आ रही है।

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